ख़ामोश दिलों को पैमाना बना रही है शराब,
मैख़ाने को मैख़ाना बना रही है शराब।
क्या बिसात मेरी की कह दू कता कोई,
ब-ख़ुदा मुझे शायर बना रही है शराब।
रज़ा है उतार दूँ खंजर तेरे सीने में,
यूँ समझ तुझे मुझसे बचा रही है शराब।
ये होठों से गुज़र कर दिल मे उतर गई,
आशिकों को दीवाना बना रही है शराब।
शायद कल ही तो था भूला तुझे ऐ मोहोब्बत,
आज फिर तेरी याद दिला रही है शराब।
