छोड़ दी है।

मियां सब चीजें खराब छोड़ दी हैं,अब हमने सस्ती शराब छोड़ दी है।


अब किसी और की बेग़म को तो भगाएँ कैसे,हमने सब ख्वाइशें अजायब छोड़ दी हैं।

होगा वो शूर ये मान लिया हमने मगर,हमने तो बीच समंदर में नाव छोड़ दी है।

दीवार -ओ-दर से दस्तक अब भी आती है,मगर मैंने तो कब से खुली किवाड़ छोड़ दी है।

©harsh_parashar

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