हर मुलाकात पर न आने को बहाना ढूंढते हो,
तुम शराब तो नही पीते मगर पैमाना ढूंढते हो।
अब किस्से कहाँ रहे वो पहले जैसे,
अब कहाँ तुम वो जमाना ढूंढते हो।
तुम भी कहाँ भूल पाये हो मुझे,
तुम अब भी मेरे जैसा दीवाना ढूंढते हो।
जिस शहर जिन गलियों में बातें हो हमारी,
आज भी तुम वहीं अपना ठिकाना ढूंढते हो।